Thursday 31 October 2013

अनुभूत सरल लघु प्रयोग



1. घर मे क्लेश का वातावरण अचानक से हो जाए तो थोडा नमक ले

कर उसे अपने कंधे पर रख कर उत्तर दिशा की तरफ मुख कर 11 बार

निम्न मंत्र का उच्चारण करे ।

 " उत्तराय सर्व बाधा निवारणाय फट् " 

उस नमक को फिर हाथ मे ले कर घर के बहार थोड़े दूर कही रख दे

तो घर मे क्लेश का वातावरण दूर होता है ॥

2. अगर घर मे उपरीबाधा या इतरयोनी की शंका हो तो शाम के

समय धूप जलाए और पुरे घर मे 

" हं रुद्ररूपाय उपद्रव नाशय नाशय फट् "

 इस मंत्र का उच्चारण करते हुए घुमाए.ऐसा कुछ दिन करने

पर इतरयोनी परेशान नहीं करती ॥

3. नौकरी के साक्षात्कार के लिए जब जाना हो, उसके एक दिन

पहले किसी मज़ार पर जा कर सफ़ेद मिठाई बच्चो मे बांटे,

मज़ार पे दुआ करे और एक हरे रंग का धागा बिछे हुए कपडे से

निकाले । घर पर आ कर उसे लोहबान का धुप लगाए और

"अल्लाहु मदद " 

का जाप कर फूंक मारे, ऐसा 88 बार जाप करे और फूंक मारे ।

इस धागे को अपनी जेब मे रखकर साक्षात्कार के लिए जाए​​,

सफलता मिलेगी ॥

4. व्यापर वृद्धि के लिए व्यक्ति को अपने व्यापर स्थान पर एक

अमरबेल लगानी चाहिए । उसे रोज पानी देना चाहिए तथा

अगरबत्ती दिखा कर कोई भी लक्ष्मी मंत्र का जाप करने पर,

उस लक्ष्मी मंत्र का प्रभाव बढ़ता है ॥

5. किसी भी प्रकार की औषधि लेने से पूर्व उसे अपने सामने रख

कर 108 बार निम्न मंत्र का जाप कर लिया जाए और उसके बाद

उसको सेवन के लिए उपयोग किया जाए तो उसका प्रभाव बढ़ता है । 

॥ धनवन्तरि सर्वोष धि सिद्धिं कुरु कुरु नमः ॥


6. हाथी दांत का टुकड़ा अपने आप मे महत्वपूर्ण है । किसी भी

शुक्रवार की रात्री को उस पर कुंकुम से 'श्रीं' लिख कर श्रीसूक्त

के यथा संभव पाठ करे । इसके बाद उसे लाल कपडे मे लपेट

कर तिजोरी मे रख देने पर निरंतर लक्ष्मी कृपा बनी रहती है ॥

7. सूर्य को अर्ध्य देना अत्यंत ही शुभ है । अर्ध्य जल अर्पित करने

से पूर्व 7 बार गायत्री का जाप कर अर्पित करने से आतंरिक चेतना

का विकास होता है ॥

8. घर के मुख्य द्वार के सामने सीधे ही आइना ना रखे । इससे लक्ष्मी

सबंधित समस्या किसी न किसी रूप मे बनी रहती है, 

अतः इस चीज़ का ध्यान रखना चाहिए ॥

तीव्र विद्वेषण प्रयॊग

यह प्रयॊग आप कृष्ण पक्ष शनिवार रात्रि से आरम्भ करे यह प्रयॊग ४० दिन का है किन्तु जादा समय नहीं लगता, स्नान कर साफ़ धोती धारण कर अपने साधना कक्ष में दक्षिण- पश्चिम दिशा के मध्य मुह कर काले ऊनी आसन पर बैठ जाए बैठने का तरीका स्वस्तिकासन में होना चाहिए ! अपने सामने गणेश -गुरु और अपने इष्ट को विराजमान कर सर्व प्रथम आचमन - पवित्रीकरण आदि कर दाए हाथ में जल लेकर संकल्प करे - मैं अमुक नाम का साधक अमुक तिथी - गोत्र अमुक जातक का अमुक व्यक्ति के मध्य द्वेष उत्पन्न करने के उद्देश से मैं विद्वेषण प्रयॊग कर रहा हु ! संकल्प करने के बाद गणेश -गुरु -इष्ट का पूजन कर गुरु मंत्र कर ले .. और प्रयॊग में पूर्ण सफलता की प्रार्थना कर काली हकीक माला का संक्षिप्त पूजन कर उपांशु विधि से मात्र ४ माला निम्न मंत्र की करे -


मंत्र :-


ॐ नमो नारदाय अमुकस्य अमुकेन सह
विदवेषण कुरु कुरु स्वाहा ॥
 
इसमें ( अमुकस्य ) के स्थान पर एक व्यक्ति का नाम बोले और उसकी लडाई जिससे करानी हो ( अमुकेन ) के स्थान पर उसका नाम बोले ! मंत्र का जप न तो बहुत शीघ्रता से करे और न ही बहुत धीमे -धीमे ! नित्य मंत्र जप के बाद अपने इष्ट की आरती कर शमा याचना अवश्य करे ! ऐसा करने पर अवश्य ही उन दोनों के मध्य किसी बात को लेकर द्वेष उत्पन्न हो जाता है और वह एक दूसरे का मुह तक देखना पसंद नहीं करते !
अंत में यही कहना चाहूगा की गलत उद्देश से किया तंत्र प्रयॊग साधक के लिए ही घातक हो जाता है अतः साधक अपने विवेक का प्रयॊग करे !!

Wednesday 30 October 2013

किसी भी मंत्र की काट करने का मंत्र

तेली की खोपड़ी चाट-चाट के मैदान,

ऊपर चड़ा मुहम्मद सुल्तान,
मुहम्मद सुल्तान किसका बेटा,
फातिमा का बेटा, सूअर खे हलाल करे,
पै दे पाँव वज्र की कील काट,
तो माता का दूध को हराम करे ॥
किसी भी शुब समय अथवा जुमेरात की रात्री को पूरी रात भर
इस मंत्र का जाप करते रहने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है ।

तत्पश्चात किसी भी मंत्र की कट करने के लिए इस मंत्र का
प्रगोय करने से पूर्व मे किशि के भी द्वारा किए गए मांत्रिक
प्रयोग से छुटकारा मिल जाता है ॥