यह
प्रयॊग आप कृष्ण पक्ष शनिवार रात्रि से आरम्भ करे यह प्रयॊग ४० दिन का है
किन्तु जादा समय नहीं लगता, स्नान कर साफ़ धोती धारण कर अपने साधना कक्ष
में दक्षिण- पश्चिम दिशा के मध्य मुह कर काले ऊनी आसन पर बैठ जाए बैठने का
तरीका स्वस्तिकासन में होना चाहिए ! अपने सामने गणेश -गुरु और अपने इष्ट को
विराजमान कर सर्व प्रथम आचमन - पवित्रीकरण आदि कर दाए हाथ में जल लेकर
संकल्प करे - मैं अमुक नाम का साधक अमुक तिथी - गोत्र अमुक जातक का अमुक
व्यक्ति के मध्य द्वेष उत्पन्न करने के उद्देश से मैं विद्वेषण प्रयॊग कर
रहा हु ! संकल्प करने के बाद गणेश -गुरु -इष्ट का पूजन कर गुरु मंत्र कर ले
.. और प्रयॊग में पूर्ण सफलता की प्रार्थना कर काली हकीक माला का
संक्षिप्त पूजन कर उपांशु विधि से मात्र ४ माला निम्न मंत्र की करे -
मंत्र :-
ॐ नमो नारदाय अमुकस्य अमुकेन सह
विदवेषण कुरु कुरु स्वाहा ॥
इसमें
( अमुकस्य ) के स्थान पर एक व्यक्ति का नाम बोले और उसकी लडाई जिससे करानी
हो ( अमुकेन ) के स्थान पर उसका नाम बोले ! मंत्र का जप न तो बहुत शीघ्रता
से करे और न ही बहुत धीमे -धीमे ! नित्य मंत्र जप के बाद अपने इष्ट की
आरती कर शमा याचना अवश्य करे ! ऐसा करने पर अवश्य ही उन दोनों के मध्य किसी
बात को लेकर द्वेष उत्पन्न हो जाता है और वह एक दूसरे का मुह तक देखना
पसंद नहीं करते !
अंत में यही कहना चाहूगा की गलत उद्देश से किया तंत्र प्रयॊग साधक के लिए ही घातक हो जाता है अतः साधक अपने विवेक का प्रयॊग करे !!
अंत में यही कहना चाहूगा की गलत उद्देश से किया तंत्र प्रयॊग साधक के लिए ही घातक हो जाता है अतः साधक अपने विवेक का प्रयॊग करे !!
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